दादी माँ की कहानियाँ, सियार की कहानी

दादी माँ की कहानियाँ, नानीजी ने अपने पोतों-पोतियों को बताया, “एक समय की बात है, एक अकेला सियार जंगल में रहता था। वह बहुत ही निडर और बुद्धिमान था। उसके पास बहुत सारे दोस्त थे, जैसे दीर्घशिखर गिद्ध, भालू और बंदर।”

सियार, जो अपने दोस्तों के साथ रहकर बहुत खुश था, उनके साथ रोज खेलता और उनसे अपने अनुभव और ज्ञान का साझा करता था। वह जंगल के राजा के रूप में स्वतंत्रता का आनंद उठाता था

शेर के साथ मित्रता का जन्म

नानीजी ने जारी रखा, “एक दिन, सियार की यात्रा के दौरान वह एक बहुत ही भयानक शेर के पास पहुंचा। शेर बड़ा और दहाड़नेवाला था। उसके पास आने पर बाकी सभी जानवर डर के मारे भाग गए, लेकिन सियार धीरे-धीरे नजदीक गया।”

शेर ने सियार को देखा और आश्चर्य से पूछा, “तू यहां क्या कर रहा है? क्या तू मेरे साथ खेलना चाहता है?”

सियार ने विश्वासपूर्वक उत्तर दिया, “हाँ, महाराज! मैं आपके साथ खेलना चाहता हूँ। मैं आपके साथ दोस्ती करना चाहता हूँ।”

शेर ने उसे देखा और गर्व से बोला, “तू बहुत ही साहसिक है और धीरे-धीरे निकले जाने की दृढ़ता रखता है। चल, हम एक-दूसरे के दोस्त बनेंगे।”

दोस्ती की मिसाल

नानीजी ने आगे कहा, “शेर और सियार की दोस्ती उस जंगल में एक मिसाल बन गई। उन्होंने साथ मिलकर खेलना, शिकार करना और खुद को साझा करना शुरू किया। वे एक-दूसरे के साथ समय बिताने में बहुत खुश थे।”

शेर सियार को अपने शिकार के दिन ले जाता था और सियार उसे नए और अज्ञात स्थानों में ले जाता था। उनकी दोस्ती में खुद को प्रकट करने का आनंद उठाते थे।

सामरिक मुद्दों का सामना

नानीजी ने आगे बताया, “एक दिन, जंगल में दुश्मनी की घटना घटी। जंगल के दो बड़े जमींदार तालाब के लिए आपस में लड़ने लगे। शेर और सियार को अपने दोस्तों के बीच विचारशक्ति और समझदारी की ज़रूरत हुई।”

शेर और सियार ने मिलकर यह निर्णय लिया कि वे दोनों दलों के बीच संवाद स्थापित करेंगे और उन्हें युद्ध की जगह शांति की बातचीत का अवसर देंगे।

विजय की गाथा

नानीजी ने कहा, “शेर और सियार ने अपनी सामरिक क्षमता और समझदारी का इस्तेमाल करके दोनों तालाब के जमीनदारों को संयमित कर लिया। उन्होंने सभी की बात सुनी और विचारों का सम्मान किया। आखिरकार, शेर और सियार ने शांति की सौगात दी।”

जंगल के लोग इस अद्वितीय और मित्रता भरे संघर्ष को देखकर हृदय से प्रभावित हुए। उन्होंने शेर और सियार की दोस्ती की मिसाल को अपने जीवन में अपनाया और दुश्मनी को समझ और विश्वास में परिवर्तित कर दिया।

आदर्श और सामरिकता

नानीजी ने मुस्कान के साथ कहा, “मेरे प्यारे पोतों-पोतियों, सियार और शेर की कहानी हमें एक दूसरे के साथ समझदारी, सदभाव और सहयोग की महत्वपूर्ण महक देती है। जब हम सही मिल जाते हैं, तो हमें

बाधाओं का सामना करना आसान हो जाता है और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।”

नानीजी ने अपने पोतों-पोतियों को समझाया कि दोस्ती, सहयोग और समझदारी हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह हमें दूसरों की ज़रूरतों को समझने का क्षमता देती है और हमें सामरिक मुद्दों को विचारशक्ति से हल करने का सामर्थ्य प्रदान करती है।

सियार की कहानी का संदेश

नानीजी ने अपनी कथा को समाप्त करते हुए कहा, “मेरे प्यारे बच्चों, सियार की कहानी सिद्ध करती है कि दोस्ती और मित्रता की शक्ति असीम होती है। जब हम एक-दूसरे के साथ मेल जुलते हैं, तो हम असाधारण बातें कर सकते हैं और आपस में साझा कर सकते हैं। यह हमें आदर्शता की ओर ले जाता है और हमें एक बेहतर और अधिक समर्पित व्यक्ति बनाता है।”

नानीजी की यह कथा अपने पोतों-पोतियों के मन में गहरी छाप छोड़ेगी और उन्हें सहयोग, दोस्ती, विश्वास और समझदारी के महत्व को समझने का संकेत देगी। इस कहानी ने

दिखाया है कि जब हम दूसरों के साथ एकत्रित होते हैं और मिलकर समस्याओं का सामना करते हैं, तो हम सबसे अधिक प्राप्ति कर सकते हैं और अपनी ज़िन्दगी को खुशहाल और संतुष्ट बना सकते हैं।

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Dada dadi ki kahani, दादी की सुनाई हुई कहानी

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