Hanuman sindur kahani in hindi – आखिर क्यों हनुमान जी को चढ़ाया जाता है नारंगी सिंदूर

hanuman sindur kahani in hindi, हिंदू धर्म में हनुमान जी को महाबली और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। उन्हें हनुमान्या, मारुति, वायुपुत्र, पवनसुत आदि नामों से भी जाना जाता है। एक रोचक कथा है जहां हनुमान जी को नारंगी सिंदूर चढ़ाया जाता है और इसकी महिमा और महत्व का वर्णन किया जाता है। चलिए, इस कथा को जानते हैं।

हनुमान जी के अद्भुत जन्म की कथा, hanuman kahani in hindi


बजरंगबली हनुमान जी का जन्म अत्यंत अद्भुत और चमत्कारी रहा है। वे वायुपुत्र हैं, यानी भगवान वायु देवता के पुत्र हैं। माता अंजनी ने वायु देवता की कृपा से हनुमान जी को जन्म दिया। उनके जन्म के बाद से ही वे बड़े ही बलशाली और महाशक्तिशाली थे।

हनुमान जी की भक्ति और सेवा, hanuman ji ki story hindi mein


हनुमान जी ने बचपन से ही भगवान राम की अटल भक्ति की थी। उनकी अद्भुत शक्तियों के कारण वे राम के महान भक्त बन गए। राम और सीता की सेवा में हनुमान जी ने अपनी पूरी जीवनयात्रा समर्पित की। उन्होंने राम की सेवा के लिए असंख्य चमत्कारिक कार्य किए और उनकी उपासना में ब्रह्मचारी और वीरता की मिसाल प्रस्तुत की।


हनुमान जी ने लंका में माता सीता के पास पहुंचने के बाद अपनी भक्ति, वीरता और शक्ति का प्रदर्शन किया। माता सीता ने हनुमान जी को भक्ति और सेवा के लिए प्रशंसा की और उन्हें वरदान प्रदान किया। माता सीता ने हनुमान जी को कहा, “हे हनुमान, तुम्हारी भक्ति और वीरता का मैंने गर्व से स्वीकार किया है। मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ कि तुम सदैव मेरे भक्त और सेवक बने रहोगे।”

नारंगी सिंदूर का प्रयोग, hanuman chalsha


उस समय हनुमान जी ने नारंगी सिंदूर का प्रयोग किया था जो कि माता सीता के द्वारा दिया गया था। नारंगी सिंदूर एक विशेष प्रकार का सिंदूर है जिसे नारंगी रंग में बनाया जाता है। हनुमान जी ने नारंगी सिंदूर को अपने शरीर पर लगाया ताकि माता सीता उन्हें पहचान सकें।

माता सीता की महिमा और आशीर्वाद, hanuman ji ka avtaar


जब हनुमान जी ने नारंगी सिंदूर लगाया, तब माता सीता ने उन्हें पहचान लिया और अपनी आशीर्वाद दिया। माता सीता ने कहा, “हे हनुमान, तुम्हारी भक्ति, वीरता, और वचनस्थता का मैंने गर्व से स्वीकार किया है। तुम्हारी सद्भक्ति और सेवा के बदले मैं तुम्हें श्रेष्ठ पुत्र, ब्रह्मचारी, बलवान, और महासंग्रामी बनाती हूँ। तुम सदैव धर्म के पालन करोगे और मेरी कृपा तुम पर बनी रहेगी।”


नारंगी सिंदूर के प्रयोग के बाद से ही हनुमान जी को नारंगी सिंदूर से पूजा जाने लगी। इसे हनुमान जी की प्रतिष्ठा करने का एक विशेष तरीका माना जाता है। इस प्रकार, हनुमान जी की पूजा में नारंगी सिंदूर का विशेष महत्व दिया जाता है और उनकी कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

हनुमान जी के गुण और महिमा, kahani lal sindur ki


हनुमान जी को महाबली और दिव्यता का प्रतीक माना जाता है। उनकी शक्ति, वीरता, ब्रह्मचारिता, और भक्ति ने सभी को प्रभावित किया है। उन्हें भगवान राम की अटल भक्ति और सेवा का उदाहरण माना जाता है। हनुमान जी की प्रतिष्ठा और पूजा लोगों द्वारा विशेष भक्ति और सम्मान का प्रतीक मानी जाती है।

नारंगी सिंदूर की महिमा, sita mata ka vardan


नारंगी सिंदूर भगवान हनुमान की पूजा में एक महत्वपूर्ण भाग है। इसे उनकी प्रतिष्ठा, शक्ति, और आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में माना जाता है। नारंगी सिंदूर को अपने शरीर पर लगाने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इस रूपांतरण की कथा से हमें यह समझ मिलता है कि हनुमान जी की विशेषता, शक्ति, और भक्ति ने उन्हें अन्य देवताओं से अलग बना दिया है। नारंगी

सिंदूर को हनुमान जी की पूजा में उपयोग करने से हम उनकी प्रतिष्ठा, भक्ति, और आशीर्वाद का अद्वितीय अनुभव करते हैं। इस प्रकार, हनुमान जी को नारंगी सिंदूर चढ़ाना उनकी पूजा और सम्मान का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

सिंदूर चढ़ाते वक्त करें इस मंत्र का जप

श्री हनुमान की प्रतिमा पर सिंदूर का चोला चढ़ाने जा रहे हैं तो पहले उनकी प्रतिमा को जल से स्नान कराएं। इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण करें। इसके बाद मंत्र का उच्चारण करते हुए चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर या सीधे प्रतिमा पर हल्का सा देसी घी लगाकर उस पर सिंदूर का चोला चढ़ा दें।

मंत्र है-

सिन्दूरं रक्तवर्णं च सिन्दूरतिलकप्रिये।

भक्तयां दत्तं मया देव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम।।

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