Nani ki kahaniya in hindi, एक समय की बात है, एक हरे-भरे जंगल में एक चतुर कछुआ और एक चालाक खरगोश रहते थे। वे अच्छे दोस्त थे और अपने दिनों का समय जंगल में घूमकर और कहानियां साझा करके बिताते थे। एक दिन, जब वे एक शांतिपूर्ण तालाब के पास बैठे थे, कछुआ ने पास की ओर एक पके हुए आम का पेड़ देखा।
चलाक कछुआ, जो धीमे गति से चलता था, खरगोश से कहा, “मेरे प्यारे दोस्त, देखो उस स्वादिष्ट आम के पेड़ को! उसकी डालें मीठे फलों से भरी पड़ी हैं। लेकिन दुःख की बात है, मैं तालाब पार करने के लिए तैरता नहीं हूं।”
खरगोश, जो हमेशा साहसिक था, उत्तर दिया, “चिंता न करो, मेरे दोस्त। मैं तेजी से तैर सकता हूं और दौड़ते हुए उन आमों को लाऊंगा। मैं तुम्हारे लिए वह आम ला दूंगा।”

खरगोश ने उछल कर तालाब में कूदते हुए आम के पास पहुंचा। वह उन आमों को ध्यान से देखते हुए खुश हो गया। उसने सोचा, “यह तो बड़ी आमें हैं, कछुआ के लिए थोड़ी सी भी अधिक नहीं होगी।”Kahani for kids in hindi“
खरगोश ने एक योजना बनाई और सोचा, “मैं यहां एक आम ले जाऊंगा, और कछुए को बताऊंगा कि यह आम केवल उसके लिए है। उसे विश्वास हो जाएगा और मैं इसे खाने के बाद वहां सो जाऊंगा। तब मैं कछुए को आम का वजन संभलने और लाने में मदद कर सकूंगा।”
एकता और सहायता की महत्वपूर्णता, nani ki kahani in hindi
उसकी योजना के अनुसार, खरगोश ने आम को एक छोटे-से गुफा में रख दिया और जल्दी से वहां सो गया।
कछुआ, जो उसे देखने आया था, खरगोश को देखकर चौंक गया। उसने पूछा, “खरगोश, यह आम किसके लिए है?”
खरगोश ने बड़ी गर्व से कहा, “यह आम सिर्फ तुम्हारे लिए है, मेरे दोस्त। मैंने इसे तालाब के दूसरे तरफ से लाकर रख दिया है। यह आम तुम्हारे लिए खाने के लिए है, मैं तुम्हारी मदद करने आया हूँ।”
कछुआ ने उस पर विश्वास किया और खुशी से बोला, “धन्यवाद, मेरे प्रिय दोस्त! तुम मेरे लिए कितने उपकारी हो! मैं तुम्हारी मदद के
रोने लगा। खरगोश ने उसे समझाया, “चिंता न करो, मेरे दोस्त। मैं तुम्हारी मदद करूंगा। हमें मिलकर इस आम को निकालेंगे।”
खरगोश ने कछुए के कंधों पर उतारा और दूसरी ओर रखा आम खींचकर निकालने की कोशिश की। कछुए ने जमकर अपनी ताकत लगाई, लेकिन वह जबरदस्ती से नहीं निकला। वे दोनों बहुत प्रयास करने के बावजूद आम निकालने में असमर्थ रहे।
बड़ी मेहनत के बाद खरगोश थक गया और बोला, “अरे यार, यह आम बहुत भारी है। मुझे नहीं लगता कि हम इसे निकाल सकेंगे।”
सच्ची दोस्ती की मिसाल, nana ki kahaniya in hindi

कछुआ ने उन्हें प्रोत्साहित किया, “हमें हार मानने की कोई जरूरत नहीं है, मेरे दोस्त। हमें एक बहुत ही सरल युक्ति ढूंढ़नी चाहिए।”
वे दोनों सोचने लगे और तब उन्होंने एक युक्ति तैयार की। खरगोश ने एक जगह खुद को स्थिर कर दिया और कछुआ ने अपने पूंछ को खरगोश के बारे में बांध लिया।
फिर, कछुआ खरगोश के कंधों पर उतरा और उसने उसको संकेत दिया कि उसे धक्का देना शुरू कर दें। खरगोश ने कछुए को धक्का देना शुरू किया। धीरे-धीरे, कछुआ की ताकत और खरगोश की दौड़ का मिलाजुला उपयोग करते हुए वे आम को धक्के देने लगे।
धक्कों के साथ-साथ, आम की भारी वजन बढ़ता गया और धीरे-धीरे आम ने वजन कम करना शुरू किया। आखिरकार, आम गिर पड़ा और उसने चौंक दिया।
खरगोश ने अपनी खुशी जाहिर की और बोला, “देखो, मेरे दोस्त, हमने अपनी मेहनत और समझदारी से आम को निकाल लिया। अब तुम इसे खा सकते हो और मैं अपनी आराम से सो सकता हूं।”
कछुआ ने खरगोश की विदाई की और उसे धन्यवाद दिया, “तेरी मदद के लिए धन्यवाद, मेरे प्यारे दोस्त। तू वाकई मेरी मदद में सबसे बड़ा सहारा था।”
धन्यवादी, dadima ki kahani
खरगोश ने जल्दी से आम को खाना शुरू किया और वहां सो गया। कछुआ ने आम के स्वाद का आनंद लेते हुए उसकी प्रशंसा की, “यह आम बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट है! तेरी मदद के लिए मै तेरी धन्यवादी हूँ, मेरे दोस्त खरगोश। तूने सचमुच ही चतुरता और व्यवस्थापन की मिसाल पेश की है। हमारी मेहनत और संयम से हमने मुश्किलों का सामना किया और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।”
यह गतिविधि जंगल के अन्य जानवरों ने देखी और चमत्कार से चमत्कार हो गए। वे सब अवाक हो गए और कहने लगे, “देखो, यह कछुआ और खरगोश कितने संगठित हैं! वे मिलकर असाधारण काम कर रहे हैं।”Kahani for kids in hindi“

अंत में कौन जीता, dadi nani ki kahaniyan in hindi
इसके बाद से, खरगोश और कछुआ एक-दूसरे की साथी बन गए और उन्होंने साथ मिलकर और चतुरता से बहुत सारे कामों को संपादित किया। जंगल के सभी जानवर उन्हें आदर से देखते और सम्मान करते थे।
यह पंचतंत्र की कहानी खरगोश और कछुए की सिख सिखाने वाली है। यह हमें यह सिखाती है कि हमें दूसरों की सहायता करनी चाहिए और एक-दूसरे के बजाय एकत्र होकर कठिनाइयों का सामना करना चाहिए। इसके अलावा, यह भी बताती है कि संगठन और व्यवस्था महत्वपूर्ण हैं और हमें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संयमित और मेहनती रहना चाहिए।
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