कहानी दर्द की – रुलाने वाली लव स्टोरी (Rulane Wali Love Story)

ये कहानी है रिया और आदित्य की, जिनकी मोहब्बत एक तूफान थी मगर किस्मत की बेरुखी ने उन्हें बिछाड़ दिया.

इंदौर की गलियों में 

इंदौर की रंगीन गलियों में, जहां मराठी की मिठास हवा में घुलती थी, रहती थी रिया. हंसमुख और खूबसूरत, उसकी आँखों में सपनों की चमक थी. वो एक छोटी सी दुकान में कपड़े बेचती थी. एक दिन दुकान में ही उसकी मुलाकात आदित्य से हुई.

आदित्य, एक मेडिकल स्टूडेंट, मिजाज़ शांत और बातें सोच-समझकर करने वाला था. रिया की बातों में एक अलग ही मिठास थी जिसने आदित्य को अपनी ओर खींच लिया. धीरे-धीरे उनकी बातचीत बढ़ती गई और प्यार का रूप ले लेती है. रुलाने वाली लव स्टोरी

सपनों का संगम 

शाम की चाय पर आदित्य रिया को अपने डॉक्टर बनने के सपने बताता. रिया उसकी बातों को ध्यान से सुनती और कहती, “आप ज़रूर एक अच्छे डॉक्टर बनोगे.” रिया भी अपना सपना शेयर करती, एक फैशन डिज़ाइनर बनने का. आदित्य उसे पूरा सपोर्ट करता. उनकी खुशियों में दोनों एक दूसरे का साथ देते.

वादों के बंधन 

रुलाने वाली लव स्टोरी, एक बारिश की शाम, ताजिया की मातम के बीच, आदित्य ने रिया का हाथ थाम लिया. दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया कि वो जिंदगी भर साथ रहेंगे. रिया खुशी से झूम उठी. आदित्य की मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने वाली थी. उसने वादा किया कि वो पढ़ाई पूरी करके जल्द ही वापस आएगा और वे शादी कर लेंगे.

टूटते सपने, बदलती जिंदगी

आदित्य पढ़ाई के लिए मुंबई चला गया. चिट्ठियाँ आती रहीं, प्यार के मीठे शब्दों से भरी. रिया हर रोज़ दुकान के बाहर खड़ी होकर रास्ता देखती. पर वक्त बीतता गया, आदित्य की ख़बर आनी कम हो गई. एक दिन खबर आई कि आदित्य की मुंबई में एक बड़ी डॉक्टर से सगाई हो गई है.

रिया का दिल टूट गया. उसे यकीन नहीं हो रहा था. उसने आदित्य को ढूंढने की बहुत कोशिश की पर वो नहीं मिला. रिया की ज़िंदगी में मायूसी छा गई. उसने फैशन डिज़ाइनर बनने का सपना भी छोड़ दिया.

दस साल बाद 

दस साल बाद रिया एक नामी अस्पताल में नर्स बनकर काम कर रही थी. एक दिन अस्पताल में एक मरीज को लाया गया. रिया उसका चेहरा देखकर चौंक गई. वो आदित्य था. रुलाने वाली लव स्टोरी।

सच का खुलासा 

आदित्य को ब्रेन ट्यूमर हो गया था. इलाज के लिए वो विदेश चला गया था. वहाँ उसकी मुलाकात उस डॉक्टर से हुई जिससे उसकी सगाई हुई थी. वो डॉक्टर ने ही उसका इलाज किया था. पर इलाज के दौरान उसकी डॉक्टर मंगेतर की एक दुर्घटना में मौत हो गई.

आदित्य भारत वापस आया और रिया को ढूंढने लगा पर नहीं ढूंढ पाया. अब उसकी हालत बहुत खराब थी. रिया ने आदित्य की पूरी देखभाल की. वो हर पल उसके साथ रही.

आखिरी अलविदा 

कुछ दिनों बाद आदित्य हमेशा के लिए सो गया. रिया उसके हाथों को थामे हुए थी. उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे. उसने आदित्य को वो सब कुछ बताया जो इन दस सालों में हुआ.

आदित्य को अफसोस हो रहा था. काश वो रिया को बता पाता, काश वो वापस लौट पाता. रिया ने उसके सिर को सहलाया और कहा, “मैं हमेशा तुम्हारे साथ थी, आदित्य. तुम मेरे दिल में ही रहोगे.” अस्पताल से निकलते हुए रिया के हाथों में एक लिफाफा था. वो आदित्य का था. घर जाकर उसने उसे खोला. अंदर एक चिट्ठी थी, आदित्य के प्यार भरे शब्दों से भरी. साथ ही, एक स्केचबुक थी. रिया ने उसे खोला तो उसकी आँखों से फिर आंसू छलक पड़े.

स्केचबुक में रिया के कई सारे खूबसूरत पोर्ट्रेट थे, हर एक में रिया की खूबसूरती और मासूमियत को बखूबी दर्शाया गया था. हर स्केच के नीचे आदित्य ने प्यार भरे शब्द लिखे थे. रिया को एहसास हुआ कि आदित्य ने उसे हमेशा याद रखा. उसने फैशन डिज़ाइनर बनने का सपना फिर से जगा लिया. उसने स्केचबुक को संभाल कर रखा और रिया ने अपनी नर्स की नौकरी छोड़ दी. वो एक फैशन डिज़ाइनिंग कोर्स में दाखिला लिया.

कुछ सालों की मेहनत के बाद रिया एक नामी फैशन डिज़ाइनर बन गई. उसके कपड़ों में एक खास बात थी, 

उनमें एक गहराई, एक दर्द था. वो दर्द आदित्य के प्यार का, उनके अधूरे सपनों का था. रिया हर साल ताजिया के मातम में जाती थी. वो आदित्य की कब्र पर बैठती और उसे अपने डिजाइन दिखाती. वो कहती, “देखो आदित्य, मैंने तुम्हारा सपना भी पूरा कर लिया.”

रिया और आदित्य की कहानी इश्क़ की ताकत और जिंदगी की नाज़ुकता की कहानी है. ये कहानी बताती है कि सच्चा प्यार कभी मरता नहीं, वो सिर्फ एक अलग रूप ले लेता है.

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