॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल करन कृपाल।
दीनन की दुख हरनि,
कालिका माता काली॥
॥ चौपाई ॥, shiv chalisa in hindi

नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश॥
ज्वलन में अग्नि, कमलन में विशाल।
सद्गुरु चरण कमल चढ़िक,
धरौं अस्थिर कालि॥
मंगल मय सुबह निसि दिन चरनी,
करत चालीसा।
तन मन धन ज्ञान नहिं राखौं,
चौसठ योगिनी नाथ तुम्हारी॥
जटा में गंगा नर्मदा, ब्रह्मा चालीसा।
मंगल मय सुबह निसि दिन चरनी,
करत चालीसा॥
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता।
करहुं जो मन्त्र जोग तुम्हारा,
उर धरौं अगाध शक्ति॥
मातु पिता भ्राता सबै, बने दयाल।
समस्त जग का स्वामी,
सब करत हैं तुम्हारी॥
दीनन के दुख हरनि,
तुम्हारे द्वार।
विभूषित चरणन मातु, जोग ध्यान धरौं सदा॥
काली माता कालि,
करहुं रिधि सकल संकट कष्ट निवारी।
जय जय जय जय जय जय जय जय जय जय जय जय॥
शिव चालीसा का अर्थ: shiv chalisa lyrics

॥ दोहा ॥
हे गणेश की माता गिरिजा, जो कृपालतापूर्ण हैं। वे दीनों के दुःखों को हरने वाली हैं, कालिका माता काली हैं।
हर रोज़ सुबह-शाम चालीसा का पाठ करता हूं। हे जगदीश्वर, आप मेरी मनोकामना पूर्ण करें।
आप अग्नि में ज्वलते हैं, कमल में विशाल हैं। मैं सद्गुरु के पदकमलों को अर्पित करता हूं, धरता हूं अस्थिर कालि को।
सुबह-शाम चालीसा पढ़कर, आपके पास आता हूं। मेरे तन, मन, धन और ज्ञान को स्थायी रखिए, आप चौसठ योगिनियों के नाथ हैं।
आपके जटाओं में गंगा और नर्मदा हैं, आप ब्रह्मा की चालीसा हैं। सुबह-शाम चालीसा पढ़कर, मैं आपकी सेवा करता हूं।
आप पाताल में निवास करने वाली हैं, आप ही शुभ दात्री हैं। जो मन्त्र योग आपका करता हूं, वह बिना सीमा की शक्ति हैं।
माता, पिता, भ्राता, सब आपके दयाल हैं। आप ही सम्पूर्ण जगत के स्वामी हैं, सब आपकी इच्छा पूरी करते हैं।
दीनों के दुःखों को हरने वाली, आपके द्वार हैं। मैं आपकी विभूषित चरण-चिंतन करता हूं और सदा आपकी ध्यान करता हूं।
हे काली माता काली, आप सभी संकटों और कष्टों को नष्ट करने वाली हैं। जय जय जय जय जय जय जय जय जय जय जय जय॥
अर्थ:
हे गिरिजापुत्री गणेश की माता, जो मानवों की कृपा करती हैं। वे दीनों के दुःखों को हरने वाली हैं, काली माता काली हैं॥
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