Shiv ki aarti, शिव जी की आरती

जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

महादेव को नमन करता हूँ, जिन्होंने सबका उत्पत्ति किया है। वे ब्रह्मा, विष्णु, और सदाशिव के रूप में विद्यमान हैं, जो अर्धांगी शिव के साथ मिलकर एक पूर्णता का प्रतीक हैं॥

Shiv ki aarti

जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
एकानन, चतुरानन, पंचानन, राजे॥
हंसासन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥

महादेव को नमन करता हूँ, जो एकाकार, चतुराकार, पंचाकार और सबका स्वामी हैं। वे हंसासन, गरुड़ासन, और वृषभ वाहन के साथ अत्यंत सुंदर रूप में विराजमान हैं॥

दो भुज चार चतुर्भुज, दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरंजन, सुख-दाता जग सोहे॥

HANUMAN CHALISA LYRICS IN HINDI – हनुमान चालीसा – shiv ki aarti lyrics

महादेव को नमन करता हूँ, जो दो भुजाओं वाले चार चतुर्भुज रूप में और दस भुजाओं वाले अत्यंत सुंदर रूप में विद्यमान हैं। वे त्रिगुणात्मक और निर्मल रूप से सबके सुखदाता हैं, जगत को आनंदित करते हैं॥

तिनको लोक माँहि समान, तिनको तेज प्रताप।
देवन को देव महेश, जग को संसार है॥

महादेव को नमन करता हूँ, जो सभी लोकों में समान हैं, जिनकी तेजस्वी प्रकाशमय विभूति है। वे देवताओं के देवता हैं, जगत को इस संसार के रूप में प्रतिष्ठित करते हैं॥

तेरी अरती शिवजी, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुखी होते सब दुख जावे॥

महादेव की आरती गाने वाला कोई भी व्यक्ति, शिवानंद स्वामी कहते हैं कि सभी सुखी हो जाते हैं और सभी दुखों से मुक्त हो जाते हैं॥

दूषन अन्ध, निर्मोही, महामाया जगदंबे।
तिनको रूप न धरना, अनंत, शंकर सुमंगले॥

महादेव को नमन करता हूँ, जो दूषण को दूर करते हैं, अन्धकार को दूर करते हैं, और महामाया के भ्रम में पड़े जगत को संज्ञान करते हैं। वे किसी भी रूप में बंद नहीं होते हैं, वे अनंत और शंकर के रूप में सदैव सुमंगल हैं॥

कानन कुंडल शोभित नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र

दिवाकर राजत सम ज्योति॥

महादेव को नमन करता हूँ, जिनके कान में कुंडल हैं और जिनकी नासाग्रा पर मोती की शोभा हैं। उनके सिर पर कोटि सूर्यों और चंद्रमाओं की राजत सम ज्योति हैं॥

Shiv ki aarti

श्री अमरजीतलिंग प्रकट विराजमान।
भाल चंद्रमा भळे, शाशिवदन नंदन॥

महादेव को नमन करता हूँ, जिनके अमरजीतलिंग विराजमान हैं। उनके भाल पर चंद्रमा रूपी चंद्रकांति विद्यमान हैं, जिनके चेहरे पर नंदन शिव की शोभा हैं॥

ब्रह्मा मुरारि सुरार्चित लिंगमण्डल।
निज मन में ध्यान धरि, लेत हूं भवन्दल॥

shiv aarti lyrics in hindi

महादेव को नमन करता हूँ, जिनके ब्रह्मा, विष्णु, और देवताओं द्वारा पूजित लिंगमण्डल हैं। मैं अपने मन में उनका ध्यान धारण करता हूँ और उनके भवनदल में विराजमान होता हूँ॥

मृगमद को अनंत कोटि कोटि लै आधार।
केहरि मुख कमण्डलु छवि नगर साजे॥

महादेव को नमन करता हूँ, जिनकी वृक्षमृगमद की गंध को अनंत करोड़ों में आधार मिलता हैं। उनके केहरी मुख के समान्तर कमंडलु रूपी चश्मा विराजमान हैं, जिससे नगर में अत्यंत सुंदरता का विस्तार होता हैं॥

श्री अमरजीतलिंग धरत अगर बासी।
कर में कमण्डलु धारण, चंदन मृगमासी॥

महादेव को नमन करता हूँ, जो अमरजीतलिंग को धारण करते हैं और अगरबत्ती की सुगंध से महक रहते हैं। उनके हाथ में कमंडलु धारण करते हैं और उनकी खुशबू चंदन के समान होती हैं॥

जय शिव ओंकारा, प्रभु जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा॥

जय हो शिव के ओंकार की, प्रभु हो शिव के ओंकार की। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, और अर्धांगी शिव के साथ अक्षर धारण करने वाली धारा को जय हो॥

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