Ram or sita ka vivah – राम और सीता की मुलाकात

Ram or sita ka vivah, आयोध्या नगर में राजा दशरथ और रानी कौशल्या के यहां एक महान यशवंत और धर्मप्रेमी पुत्र का जन्म हुआ। उनके जन्म के समय आकाश में दिव्य अनुष्ठान घट रहा था और वनरों, देवताओं और साधुओं ने उनके जन्म की सूचना के लिए आकाशगंगा में आनंदमय नृत्य किया। उनका नाम ‘राम’ रखा गया, जो खुशी और प्रेम का प्रतीक था।

वनवास और सीता की स्वयंवर, रामायण विवाह

राम बड़े ही गुणवान और सामरिक क्षमताओं से सुशोभित थे। उनके चरित्र में तार्यंतता, धर्मप्रेम और परिवार के प्रति समर्पण की गहरी भावना थी। एक दिन जब राम, लक्ष्मण और राजकुमार भरत वन में विचरण कर रहे थे, तो एक अद्वैतवादी रणचोड़ ऋषि आये और उन्हें अयोध्या के राजा द्वारा बनाए गए स्वयंवर का संकेत दिया।

सीता के हृदय की पुकार, रामायण राम का विवाह

जब राम स्वयंवर में पहुंचे, तो एक सुंदरी सीता के समीप बैठी हुई थी। सीता अत्यंत सुंदर, धार्मिक और दयालु थीं। उनकी सौंदर्य, विवेक, और विनयशीलता ने राम के हृदय में आकर्षण जगाया। राम और सीता की पहली मुलाकात में उनके दोनों के हृदयों में प्यार की बातों ने झलकाई और वे एक-दूसरे के प्रति विश्वास और प्रेम की प्रतिज्ञा की।

राम और सीता की भाग्यशाली मुलाकात, रामायण राम सीता मिलन

राम और सीता की मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। वह अपने पिताजी के अनुरोध पर वनवास जाने के लिए तैयार हो गए, जिसमें सीता ने भी उन्हें पूरा समर्थन दिया। राम, सीता, और लक्ष्मण ने अपनी श्री रामचंद्र जी की आदेशों का पालन करते हुए वनवास में गमन किया।

प्रेम और प्रतिज्ञा का आदान-प्रदान, रामायण राम मिलन

वनवास के दौरान, राम, सीता और लक्ष्मण ने अनेक विपत्त

राम और सीता के साथी बनकर अद्वैतवादी रणचोद़ ऋषि विश्वामित्र के संगठन में भाग लिया। वे विश्वामित्र के साथ विभिन्न कठिनाइयों का सामना करते हुए अद्वैतवादी ऋषि की कृपा प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने त्रेतायुग के महानायक हनुमान को भी मिला।

धर्म और न्याय की रक्षा के लिए, राम ने दण्डक वन में राक्षसों से लड़ाई की। उन्होंने रावण के राज्य लंका के मण्डल का नाश किया और सीता की वापसी के लिए बड़ी संघर्ष किया। इस यात्रा में उनकी धैर्य, वीरता और त्याग का उदाहरण दुनिया के लिए प्रेरणास्रोत रहा है।

आयोध्या के राजमहल में राम का जन्म, रामायण

अंततः, राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या नगर में वापस आए और वहां राज्य अभिषेक किया गया। उन्हें अपने जीवन के अद्वितीय प्रेम और समर्पण की यादें रहेंगी, जो उन्होंने एक-दूसरे के प्रति बनाए रखने के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित किया।

इस रूपरेखा में, राम और सीता की मुलाकात दिखाई देती है कि प्रेम और समर्पण एक सुंदर और पवित्र रिश्ता को जन्म देते हैं। उनकी यह कहानी हमें दिखाती है कि प्रेम और वचनबद्धता से भरपूर जीवन जीने का महत्व क्या होता है और हमें सदैव धर्म, सत्य, और प्रेम के पथ पर चलने की प्रेरणा देती है।

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