Kahani for kids in hindi – लोमड़ी और अंगूर की कहानी

Kahani for kids in hindi, एक बार की बात है, एक लोमड़ी जंगल में रहती थी। वह बहुत ही चालाक और होशियार थी। उसे जितनी भी मौके मिलते, वह उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर लेती थी।

लोमड़ी का खेल, short story in hindi

Kahani for kids in hindi


एक दिन, लोमड़ी जंगल में घूम रही थी तभी उसे एक आकर्षक अंगूर का बगीचा दिखा। लोमड़ी ने देखा कि उस बगीचे में बहुत ही सुंदर और रसीले अंगूर लटक रहे हैं। वह उन्हें खाने के लिए बेहद उत्साहित हो गई।

लोमड़ी की भूख, kids stories for kids


लोमड़ी बगीचे में पहुंचकर उन अंगूरों की ओर जा रही थी, लेकिन उनकी ऊंचाई को देखकर वह अंगूरों को हाथ नहीं लगा पा रही थी। वह बहुत चालाकी से खुद को लंगड़ा बनाकर दिखावा करने लगी।


लोमड़ी के चालाक तरीके को देखकर अंगूरों ने सोचा कि लोमड़ी को हमारे पास पहुंचने में असमर्थ होने का कारण हमारी ऊंचाई है। वे अपनी स्वाभाविक प्राकृति को अपनाकर लोमड़ी के सामर्थ्य को खत्म करने का निर्णय लिया।

लोमड़ी का अपमान, story in hindi


लोमड़ी, अंगूरों को पाने के लिए प्रयास कर रही थी, लेकिन जब उसे अंगूरों तक पहुंचने में नाकामी मिली, तो वह बहुत नाराज हो गई। उसने उचित बहाना बनाकर कहा कि “अंगूर बहुत अच्छे नहीं दिख रहे हैं, मुझे उन्हें खाने की इच्छा ही नहीं है।”

Kahani for kids in hindi


लोमड़ी ने अपनी नदानी के चलते अंगूरों को हाथ नहीं लगा पाई, लेकिन वह अब भी उन्हें खाना चाहती थी। उसने खुद को समझाने की कोशिश तो की, लेकिन बाद में हर माध्यम से अंगूरों को खराब और अस्वादिष्ट बताने लगी।

समाधान की खोज, kahani for child in hindi


लोमड़ी बार-बार सोचती रही कि कैसे अंगूरों को प्राप्त करें, लेकिन उसे कोई समाधान नहीं मिला। वह बहुत निराश हो गई और उसने सोचा कि अंगूर उसकी पहुंच से बाहर हो गए हैं।

संकल्प और साधना, hindi kahaniya for kids

लोमड़ी ने तब एक संकल्प लिया कि अब वह और अंगूरों के पीछे नहीं भागेगी। वह खुद को मजबूत करने के लिए तत्पर हो गई। उसने खुद को अधिक कुशल और होशियार बनाने का निर्णय लिया।


इस बीच, अंगूर ने अपने अंदर समय से पहले अपनी प्राकृति को अपनाकर अपने दोस्तों को लोमड़ी के बारे में बताया। वे लोमड़ी के व्यवहार को समझ गए और उसे एक संदेश भेजने का निर्णय लिया।

लोमड़ी का निराशा, hindi kahaniya for kids

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लोमड़ी ने बड़ी मेहनत करके भी अंगूरों को खाने में सफल नहीं हो पाई। वह निराश हो गई और अपने को हार मान ली।लोमड़ी को अपने अभिप्रेत व्यवहार का पछतावा होने लगा और उसे एक सच्ची प्रतिष्ठा की एहसास हुआ।

उसने समझा कि अंगूरों के महत्व को कम करने के बजाय, उसे उनकी महिमा और सुंदरता का सम्मान करना चाहिए। यह थी “लोमड़ी और अंगूर की कहानी”। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें दूसरों के महत्व को कम नहीं करना चाहिए और सच्ची प्रतिष्ठा स्वीकारनी चाहिए।

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