Nani maa ki kahani, छोटी उम्र में शादी

Nani maa ki kahani, नानाजी के मुंह से एक दिन छोटी उम्र में शादी के बारे में कहानी सुनने का एक मधुर संदेश निकला। सभी परिवारजन उत्सुकता से उनके चारों ओर इकट्ठे हो गए। यह कहानी, जो नानाजी की अपनी ही जीवन की थी, सबको आश्चर्यचकित कर देगी। चलिए, इस मधुर प्रेम कहानी में खुद को विभाजित करें।

सभी लोगों के बीच अपनी आंखों में चमक लाए हुए, नानाजी ने कहानी की शुरुआत की।

Nani maa ki kahani

पुरानी यादें, dadi nani ki kahani

छोटे शहर में बसे एक गणेश मंदिर में, जहां धर्मिक कार्यक्रमों की गहमागहमी होती थी, वहां नानाजी की कहानी शुरू हुई। नानाजी एक संजीवनी बूटी के सामान पहले इस शहर में पहुंचे थे।

यहां उन्होंने एक छोटी सी लड़की के साथ एक मासूम प्यार देखा था। वह लड़की नानाजी के पास अपनी माँ के साथ रहती थी, और उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान खिली रहती थी।

एक अजनबी छोड़ते हुए, nani ki kahani

नानाजी ने अपनी कहानी को आगे बढ़ाते हुए बताया कि वह अपनी आठवीं कक्षा में थे, जब एक दिन वह लड़की छोड़कर अजनबी देश के लिए चली गई। नानाजी की आंखों में उस दिन की यादें चमकीं, जब वह अपनी प्रिय बचपन की साथी को खो दिया।

साथी की तलाश, nani maa ki kahani

Nani maa ki kahani

नानाजी की कहानी में एक छोटी सी उम्र का अध्याय था, जब उन्होंने अपनी पहली प्यारी पत्नी को ढूंढ़ने की कोशिश की। उन्होंने बड़ी मेहनत करते हुए उस देश में एक महीने तक छापेमारी की, लेकिन उसे खोजने में वह असफल रहे।

नानाजी ने कहानी के इस भाग में अपने प्यार की परीक्षा के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वे अपनी प्यारी पत्नी को ढूंढ़ने के लिए आखिरकार अपनी परीक्षा पूरी कर ली। उन्होंने एक नौकरी प्राप्त की और उस देश के लिए चले गए, जहां उनकी पत्नी रहती थी।

छोटी उम्र में शादी का फैसला, nani dadi ki kahani

मुलाकात की प्यारी तस्वीरें नानाजी ने अपनी कहानी के इस अध्याय में बताया कि वह अपनी पत्नी से मुलाकात करने के लिए उस देश के एक मंदिर में पहुंचे। वहां उन्होंने अपनी प्यारी पत्नी को देखा और वहां दोनों ने एक दूसरे के साथ यादें ताजगी से ताजगी की।

Nani maa ki kahani

छोटी उम्र में शादी का फैसला, nanai nana ki kahani

नानाजी ने कहानी के इस अंश में बताया कि उन्होंने अपनी प्यारी पत्नी से छोटी उम्र में ही शादी करने का फैसला किया। वहां दोनों ने एक दूसरे को वचन दिए और उनकी परिवारों ने उनकी छोटी उम्र में शादी की सहमति दी।

अंत: नानाजी की कहानी सभी को भावुक कर देती थी। यह उनके प्यार और संघर्ष की कहानी थी, जिसने उन्हें जीवन की मूल्यों को समझने और प्यार की महत्वपूर्णता को स्वीकार करने का उपदेश दिया। इस कहानी ने सबको यह बताया कि प्यार का कोई आयुसीमा नहीं होती है और जब प्यार सच्चा होता है, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती।

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